सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक बार प्रथम दृष्टया यह लगे कि पीड़िता नाबालिग है तो उसके अभियुक्त के साथ प्रेम प्रसंग का कोई अर्थ नहीं है, अभियुक्त को उस आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने इस मामले में अभियुक्त की जमानत रद्द कर उसे तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने यह आदेश मंगलवार को झारखंड के एक मामले में दिया। अभियुक्त को झारखंड हाईकोर्ट से मिली जमानत को पीड़िता (13) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हाईकोर्ट ने अभियुक्त को जमानत देकर गलती की है, क्योंकि लड़की के नाबालिग होने के कारण उसकी सहमति और असहमति का कोई मूल्य नहीं है।

अभियुक्त (20) को रांची में आईपीसी की धारा 376 और पोक्सो की धारा 6 के तहत जेल भेजा गया था। लेकिन हाईकोर्ट ने अगस्त 2021 को उसे जमानत दे दी थी। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा था कि धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष दिया गया बयान तथा एफआईआर में दिए गए तथ्यों को देखते हुए कहा जा सकता कि याचिकाकर्ता और अभियुक्त के बीच में प्रेम प्रसंग था।

chhotulal-royal-taste

शादी करने से मना करने पर दर्ज हुआ केस

वहीं यह केस भी तब ही दर्ज किया गया, जब अभियुक्त ने पीड़िता से शादी करने से मना कर दिया। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने यह नहीं देखा कि पीड़िता की उम्र कितनी है। जब अपराध हुआ उस समय वह 13 साल कुछ माह की थी, हाईकोर्ट को इस आधार पर उसे जमानत नहीं देनी चाहिए थी। क्योंकि 13 साल की लड़की कानूनन यौन संबंधों पर अपनी सहमति नहीं दे सकती।

लड़की के पिता को भेजी थी वीडियो क्लिप

लेकिन हाईकोर्ट ने सिर्फ इस बात पर ही ध्यान दिया कि दोनों के बीच प्रेम प्रसंग था और केस शादी के लिए मना करने के बाद दर्ज किया गया था। हाईकोर्ट के दिमाग में लव अफेयर की बात एकदम बाहरी है, जिसका कानून से कोई संबंध नहीं है। मामले के अनुसार अभियुक्त उसे झांसा देकर होटल में ले गया था और उसे शादी करने का झांसा देकर रेप किया। बाद में उसने इसकी वीडियो क्लिप भी लड़की के पिता को भेजी थी।

Source : Hindustan

clat

umanag-utsav-banquet-hall-in-muzaffarpur-bihar

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *