INDIA3 years ago
आख़िर कब तक हम खोते रहेंगे अपनों को? कब लौट कर आएँगे वो जो छोड़ गए हैं अपने अपनों को अधूरे वादों के साथ?
उदासी का मंज़र ही रहा होगा फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट संध्या के लिए जब उन्होंने अपनी आँखों के सामने से अपने महबूब को जंगल में खोते देखा होगा....