लेखन की ओर रुचि कब से हुई?

उत्तर: मेरी लेखन की ओर रुचि बचपन से थी। इसे एक नया आयाम देने में राइट इंडिया जो कि टाइम्ज़ ओफ़ इंडिया द्वारा आयोजित प्रतियोगिता है, और जिसकी मैं सम्मानित विजेता हूँ, उनका बहुत बड़ा योगदान है। आगे के लेखन कार्यों में लिटेरिया इनसाइट का बहुमूल्य मार्गदर्शन और अहम भूमिका है।

ज़मीनी स्तर पर लेखन के माध्यम से समाज में क्या बदलाव आ सकते है?

उत्तर: साहित्य समाज का दर्पण है और लेखन द्वारा समाज की अनेक कुरीतियों पर प्रहार किया जा सकता है। समाज के दबे कुचले वर्ग के लोगों में साहित्य के माध्यम से ही एक नई आशा और ऊर्जा फूंकी जा सकती है।

एक लेखिका के रूप में सामाजित मुद्दों पर लिखना कितना चुनौतीपूर्ण हैं?

उत्तर: यकीनन यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, आज भी हमारे समाज में महिलाओं को यथोचित स्थान पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है और लेखन का छेत्र भी इससे अछूता नहीं है।

आपकी आगामी पुस्तक ‘आनंदी’ के माध्यम से आप क्या संदेश देना चाहती हैं?

उत्तर: अपनी पिछली पुस्तकों की तरह ही आनंदी के माध्यम से भी मेरी समाज की कुरीतियों से एक अनवरत जंग जारी है और एक लेखिका होने के नाते मैं समाज में महिलाओं में शिक्षा के महत्त्व और उनकी आत्मनिर्भरता के साथ पितृसत्तात्मक व्यवस्था के साथ उनकी लड़ाई को एक नया आयाम देना चाहती हूँ।

बिहार में महिलाओं की स्थिति पहले से कितनी परिवर्तित हुई है?

उत्तर: अगर सच कहा जाए तो कोई ख़ास बदलाव आज भी देखने को नहीं मिला है। आज भी महिलाओं को अपने यथोचित स्थान और हक़ के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है जो कि हमारे समाज के लिए एक शर्मिंदगी की बात है।

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एक बालिका अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाते-निभाते अपने सपनों को सच करना चाहती है। समाज के लोगों के द्वारा इस दिशा में क्या सकारात्मक सहायता की जा सकती है?

उत्तर: स्वतंत्रता का एहसास और समाज में उसके काम को यथोचित स्थान देकर ही हम एक लड़की के जीवन में उसके सपनों के प्रति एक सच्ची आस जगा सकते हैं और इसी क्रम में उसके परिवार वालों का सहयोग बहुत मायने रखता है।

पुस्तक आनंदी शुरआती पड़ाव में महिला पक्ष को क्या सकारात्मक संदेश प्रदान करती है?

उत्तर: शिक्षा, स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के महत्त्व को दर्शाते हुए ‘आनंदी’ समाज में एक सकारात्मक परिवेश की स्थापना के लिए प्रयासरत है और अपनी नायिका के माध्यम से महिलाओं में कभी हार न मानने वाली सोच को विकसित करने की गुज़ारिश करती है।

एक बालिका के सम्मुख सपनों को सच करने हेतु विभिन्न प्रकार के कटु शब्द, प्रताड़ना जैसी भयावह स्थिति का भी सामना करना पड़ता है, आपका क्या विचार हैं?

उत्तर: यकीनन इस सच को नकारा नहीं जा सकता कि इस सदी में भी जहां हम एक तरफ़ महिलाओं को ऊँचे पदों पे आसीन पाते हैं, वहीं दूसरी ओर दहेज, अशिक्षा, घरेलू हिंसा, प्रताड़ना जैसे भयावह सामाजिक बुराइयाँ हमारे समाज में आज भी फ़न फैलाए खड़ी हैं और उन्हें हर घड़ी डसने को तैयार हैं।

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