आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव एक तरफ पार्टी के सियासी समीकरण को दुरुस्त करने की कवायद कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ तेजस्वी के अरमानों पर उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव पानी फेरते नजर आते हैं. भले ही तेज प्रताप तेजस्वी यादव को अर्जुन बताकर खुद को सारथी कृष्ण के रूप में पेश करते हैं, लेकिन दूसरे ही पल सियासी संकट भी बन जाते हैं, जिस पर पार्टी और परिवार दोनों के लिए जबाव देते नहीं बनता.

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बता दें कि लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव पर आरजेडी के युवा नेता ने गंभीर आरोप लगाए हैं. युवा आरजेडी नेता रामराज यादव ने आरोप लगाया कि तेज प्रताप यादव ने उन्हें राबड़ी आवास में कमरे में बंद करके नंगा कर पीटा. यह घटना उस दिन हुई, जिस दिन राबड़ी आवास में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था. रामराज ने सोमवार आरजेडी कार्यालय और बाद में राबड़ी आवास पर पहुंचकर तेजस्वी यादव से मुलाकात कर अपनी बात रखी.

रामराज के आरोपों के कुछ देर बाद तेज प्रताप यादव ने अपना इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया. तेज प्रताप ने ट्वीट कर कहा, ‘मैंने अपने पिता के नक्शे कदम पर चलने का काम किया. सभी कार्यकर्ताओं को सम्मान दिया जल्द अपने पिता से मिलकर अपना इस्तीफा दूंगा.’ इतना ही नहीं तेज प्रताप ने इससे पहले कहा था कि उनके खिलाफ आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, एमएलसी सुनील कुमार सिंह और तेजस्वी यादव के सलाहकार संजय यादव साजिश रच रहे हैं.

वहीं, आरजेडी के युवा नेता रामराज यादव ने तेज प्रताप यादव पर आरोप लगाया कि राजद में यादवों को प्रताड़ित किया जा रहा है. तेजस्वी यादव के विजन को उनके बड़े भाई चकनाचूर कर रहे हैं. मुझे पार्टी व तेजस्वी का साथ छोड़ने को कहा गया और धमकी दी गई. प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ बोलने को कहा गया. इससे साफ जाहिर होता है कि लालू परिवार में सियासी वर्चस्व की जंग चल रही है.

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लालू परिवार में सत्ता संघर्ष

आरजेडी युवा नेता के आरोपों पर न तो तेजस्वी यादव को जबाव देते बन रहा है और न ही तेज प्रताप यादव के इस्तीफा को स्वीकार करते नजर आ रहे हैं. तेज प्रताप ने पहली बार तेजस्वी के लिए परेशान नहीं खड़ी की है. इससे पहले एमएलसी चुनाव में भी उन्होंने टिकट वितरण को लेकर सवाल खड़े किए थे जबकि उम्मीदवारों का चयन तेजस्वी ने किया था. यही वजह है कि बीजेपी और जेडीयू इसे तेजस्वी और तेज प्रताप यादव के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष का नतीजा बता रही है.

जेडीयू ने कहा है कि लालू परिवार में किसी की हिम्मत नहीं है कि वह तेज प्रताप के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करे. जेडीयू नेता नीरज कुमार ने कहा कि पूर्व में भी तेज प्रताप ने आरजेडी के दिवंगत नेता रघुवंश प्रसाद सिंह और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष से जगदानंद सिंह को सरेआम बेइज्जत किया है, लेकिन इसके बाद भी लालू परिवार से किसी ने तेज प्रताप यादव के खिलाफ एक्शन लेने की हिम्मत नहीं दिखाई.

नीरज कुमार ने कहा कि तेज प्रताप यादव आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बेटे हैं. इसीलिए किसी का औकात नहीं है कि उनके खिलाफ कार्रवाई करे. पहले लालू परिवार गरीबों की संपत्ति अपने नाम लिखा लेते थे और अब उन्हें नंगा कर पिटवाते हैं. रामराज यादव के साथ जो पिटाई की घटना घटी है वह राबड़ी देवी के आवास पर हुई है और इसीलिए तेजस्वी यादव इससे बच नहीं सकते हैं.

‘तेज प्रताप और तेजस्वी यादव में कुर्सी की लड़ाई’

वहीं, बीजेपी ने लालू परिवार में कलह के लिए दोनों भाइयों के बीच में सत्ता संघर्ष को वजह बताया है. बीजेपी नेता अरविंद सिंह ने कहा कि आरजेडी राजकुमारों की पारिवारिक पार्टी है. इस पार्टी में कार्यकर्ताओं को नंगा करके पीटा जाता है और सियासी नौटंकी देखने को मिलती है. आपस में दोनों भाइयों के बीच कुर्सी को लेकर लड़ाई चल रही है, जिसकी वजह से कार्यकर्ताओं को नंगा कर कर पीटा जाता है. आरजेडी ए टू जेड पार्टी नहीं बल्कि ए टू जेड परिवारिक पार्टी है. तेज प्रताप का इस्तीफा देने का ऐलान भी एक सियासी नौटंकी.

तेज प्रताप यादव ने कुछ दिनों पहले मीडिया के सामने आकर अपनी ही पार्टी के एक एमएलसी सौरभ सिंह पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. तेज प्रताप यादव ने कहा था कि सौरभ सिंह ने 50 लाख का बाथरूम बनवा कर एमएलसी चुनाव में टिकट लिया था. एमएलसी चुनाव में टिकट तो तेजस्वी यादव खुद बांट रहे थे. जाहिर है तेज प्रताप यादव किस पर निशाना साध रहे थे ये भी जाहिर हो गया था.

इससे पहले भी तेज प्रताप यादव तेजस्वी यादव के सलाहकार संजय यादव पर मोटा पैसा कमाने का आरोप लगा चुके हैं. वे मीडिया में आकर कह चुके हैं कि संजय यादव ने बिहार में पैसा कमाकर दिल्ली में मॉल बनवा लिया. तेज प्रताप यादव ने कई दफे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को सरेआम जलील किया है. वे चुन-चुन कर तेजस्वी के नजदीकी माने जाने वाले नेताओं पर निशाना साधते रहे हैं. ऐसे में तेज प्रताप आरजेडी में रहते हुए जब तेजस्वी की चिंता का सबब बने हैं तो पार्टी से बाहर होकर और बड़ा संकट खड़ा कर सकते हैं.

राजनीतिक वारिस बनना चाहते हैं तेज प्रताप

लालू प्रसाद यादव की राजनीति का वारिस बनने के लिए तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव के बीच सियासी जंग चल रही है. बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से तेजस्वी ने खुद को लालू के वारिस के तौर पर स्थापित किया है तो तेज प्रताप अपनी छाप नहीं छोड़ पाए हैं. ऐसे में तेजस्वी और तेज प्रताप के बीच आर-पार की लड़ाई की स्थिति हो गई. तेजस्वी की शादी के बाद से लगा कि युद्ध विराम हो गया है, लेकिन ये एकतरफा युद्धविराम साबित हुआ. तेज प्रताप यादव ने ऐसे कांडों को अंजाम दे दिया है कि अब तेजस्वी को जवाब देना मुश्किल होगा.

हालांकि, जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रधान महासचिव डॉ. दानिश रिजवान ने कहा है कि तेजस्वी अपने बड़े भाई पर लगातार अत्याचार कर रहे हैं और आरजेडी कार्यालय में जो घटना घटी उसी का नतीजा है. रिजवान ने कहा कि तेजस्वी लगातार कोशिश कर रहे हैं कि तेज प्रताप की छवि को खराब किया जाए और उन्हें पार्टी में अलग-थलग कर दिया जाए. तेजस्वी पहले अपने लोगों से तेज प्रताप को मंदबुद्धि कहलवाते हैं और अब एक साजिश के जरिए तेज प्रताप को पार्टी से निकालने की साजिश कर रहे हैं.

विपक्षी नेता जिस तरह से तेज प्रताप और तेजस्वी को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं, उससे आरजेडी के भविष्य की राजनीति पर असर पड़ सकता है.

Source : Aaj Tak

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