बिहार के गया एयरपोर्ट के कोड पर घमासान मचता दिख रहा है। इस एयरपोर्ट का कोड GAY (गे) है, जिसे समलैंगिकता से जोड़कर आपत्ति दर्ज की गई है। सार्वजनिक उपक्रमों से संबंधित संसदीय समिति ने संसद में इसपर आपत्ति जताते हुए कहा है कि यह कोड गया शहर की धार्मिक व पवित्र छवि को देखते हुए ठीक नहीं है। पैनल ने कोड को बदलकर YAG करने का सुझाव भी दिया है। इस मामले में गया एयरपोर्ट अथारिटी के डायरेक्टर बंगजीत शाह ने बताया कि अथारिटी के स्तर पर कुछ नहीं किया जा सकता है। कोड अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आइएटीए) निर्धारित करता है, वही बदल सकता है।

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गया एयरपोर्ट के कोड पर आपत्ति

गया एयरपोर्ट के कोड पर आपत्ति पहले से दर्ज की जाती रही है। सार्वजनिक उपक्रमों से संबंधित संसदीय समिति ने जनवरी 2021 की अपनी पहली रिपोर्ट में कहा था कि धार्मिक महत्व के शहर गया के एयरपोर्ट के लिये ‘GAY’ कोड का प्रयोग आपत्तिजतनक है। केंद्र सरकार को इसे बदलने के लिए अपने स्‍तर से कोशिश करनी चाहिए। संसदीय समिति ने एयरपोर्ट का कोड GAY से बदलकर YAG (यग) करने का सुझाव भी दिया।

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संसद में पेश कार्रवाई रिपोर्ट

बीते शुक्रवार को संसद में पेश कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट में संसदीय समिति ने सरकार से इस मामले को फिर से आइएटीए और संबंधित संगठनों के समक्ष उठाने के लिए कहा। रिपोर्ट में एयर इंडिया के प्रयासों की सराहना भी की। समिति ने शुक्रवार को संसद में की गई कार्रवाई रिपोर्ट को पेश करते हुए कहा कि गया को लोग पवित्र शहर मानते हैं, जिसके लिए ‘गे’ का कोड नाम अनुचित, अनुपयुक्त, आक्रामक और शर्मनाक है। केंद्र सरकार को अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ के साथ इस मुद्दे को उठाने के लिए सभी प्रयास करने चाहिए।

एयर इंडिया कर चुका प्रयास

इस संबंध में नागर विमानन मंत्रालय ने अपने जवाब में बताया कि एयर इंडिया ने यह मामला आईएटीए के पास भेजा था। आईएटीए ने कहा कि किसी भी स्थान का कोड स्थायी होता है और इसे बदलने के लिए हवाई सुरक्षा से संबंधित मजबूत व तर्क दिया जाना चाहिए। संसदीय समिति के पैनल को मंत्रालय ने बताया कि गया एयरपोर्ट का आईएटीए कोड ‘गे’ एयरपोर्ट के संचालन के आरंभिक समय से ही उपयोग में है।

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बिना उचित कारण बदलाव नहीं

नागर विमानन मंत्रालय के अनुसार, आईएटीए ने बिना किसी उचित कारण, खास तौर पर वायु सुरक्षा, के कोड में बदलाव करने में अक्षमता प्रकट की थी। इस बाबत गया एयरपोर्ट के निदेशक बंगजीत साहा ने कहा कि मामला तकनीकी और सुरक्षा से जुड़ा है, इसलिए इसमें अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। आईएटीए की सहमति के बगैर कोड को बदलना संभव नहीं है।

Source : Dainik Jagran

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