छठी मैया फाउंडेशन द्वारा द इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल लॉ के संयुक्त तत्वावधान में ओएनजीसी की मदद से ” प्रकृति को हमारी जरूरत है” विषय पर नई दिल्ली में रंगारंग कार्यक्रम एवं सेमिनार का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम में देशभर के बुद्धिजीवी, रिटायर्ड जज, सुप्रीम कोर्ट के वकील शामिल हुए, छठी मैया के भक्त नाटक के माध्यम से छठी मैया की महत्ता सबको बताया गया। छोटे बच्चों ने गणेश वंदना की, हम प्रकृति को कैसे बचाएं पेंटिंग भी देखने को मिला। बिहार की लिट्टी चोखा की जमकर तारीफ हुई, ठेकुआ छठी माई का प्रसाद है इसकी भी वितरण व्यवस्था आयोजकों ने की थी।
इस कार्यक्रम का आयोजन छठी मैया फाउंडेशन के चेयरमैन संदीप दुबे ने किया । छठ को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देने की छठी मैया फाउंडेशन की यह पहल अनूठी है, छठी मैया वर्तमान समय की सभी समस्याओं की समाधान है, इस कार्यक्रम का उद्घाटन भारतीय जनता पार्टी के पूर्व उपाध्यक्ष श्याम जाजू ने किया, अपने उद्घाटन भाषण में श्याम जाजू ने कहा कि हमें प्रकृति की पूजा ,प्रकृति की सेवा करनी होगी आज हमारे पास जो कुछ भी है प्राकृती ने ही हमें दिया है।
मुख्य अतिथि के तौर पर एनडीएमसी के वाइस चेयरमैन सतीश उपाध्याय थे। प्रकृति की पूजा ईश्वर की पूजा के समान है ऐसा सतीश उपाध्याय ने अपने वक्तव्यों में बताया। छठी मैया की पूजा उनके प्रकृति प्रेम को दर्शाती है। जब ईश्वर खुद ही प्रकृति की पूजा करता है तो हमें भी इस ओर गंभीरता से ध्यान देना होगा। आज का मनुष्य अज्ञानता के कारण प्रकृति का दोहन करने में लगा हुआ है जिसके आने वाले समय में परिणाम बहुत ही घातक रूप में सामने आ रहे हैं।
पर्यावरण को हानि पहुंचाने से कहीं सूखा पड़ रहा है, तो कही बाढ़ आ रही है। पेड़ कम होने के कारण गर्मी भी पृथ्वी पर लगातार बढ़ती जा रही है। छठ पूजा के माध्यम से संदेश दिया कि प्रकृति कि हम पूजा करें, इससे पर्यावरण की और वातावरण की रक्षा करें जिससे पूरे प्राणी मात्र की रक्षा होगी।
यदि हमें ईश्वर को पाना है तो हमें अपना चरित्र सुदामा जैसा सरल बनाना होगा। जीवन में सबसे बड़ा तप त्याग शीलता है जो छठ व्रतियों में दिखता है। सतीश उपाध्याय ने कहा कि मनुष्य दुनियादारी के विषयों में उलझा रहता है और ईश्वर को याद नहीं करता, इसके चलते उसे कष्ट भोगने पड़ते हैं।
सतीश उपाध्याय ने कहा कि हमें अपना चरित्र श्रीराम की तरह बनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि जब मनुष्य परमात्मा का आश्रय ले लेता है तो उसके सारे बंधन खुल जाते हैं। जब वो परमात्मा को छोड़कर माया को पकड़ लेता है तो वह फिर बंधन में बंध जाता है। जहां परमात्मा रहते हैं, वहां शांति रहती है।
सुप्रीम कोर्ट बार के उपाध्यक्ष प्रदीप राय ने कहां हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम प्रकृति का दोहन बंद करें । छठ व्रत के माध्यम से सत्य को धारण करें वकीलों की सबसे बड़ी संस्था “बार काउंसिल ऑफ दिल्ली” के चेयरमैन मुरारी तिवारी छठ नदी तालाब नाहर सफाई को लेकर बहुत प्रचलित है।
जितनी शुद्धता छठ में रखी जाती है शायद ही किसी त्यौहार में इतनी शुद्धता रखी जाती होगी, छठी मैया के भक्त दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि प्रकृति हमारी मां है, जैसी मां गर्भधारण कर अपने बच्चों का ख्याल रखती है हम सबको चाहिए की प्राकृतिक को लेकर सजग हो और यह त्यौहार प्रकृती पूजा का ही त्यौहार है । दिव्य ज्योति जागृति संस्था के प्रवक्ता स्वामी विशाल आनंद मैं छठी मैया फाउंडेशन की कार्यक्रम प्रकृति को हमारी जरूरत है की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम अपितु विश्व के कोने कोने में हो और इसका नेतृत्व छठी मैया फाउंडेशन करें ताकि एक संदेश जाए , व्रत पर्व एवम त्यौहार कितनी सशक्त है, भारतीय जनता पार्टी एससी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री संजय निर्मल ने केंद्र सरकार की प्रकृति को लेकर योजनाओं की स्वागत की कहां हम प्रकृति का संरक्षण कर सकते हैं हमारा छोटा छोटा प्रयास प्रकृति संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगा अचार्य शैलेश तिवारी जी ने स्वागत भाषण किया , छठ को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देने की कोशिश मैं सब सब शामिल होना चाहते हैं।
छठी मैया फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप दुबे ने कहा नई पीढ़ी और नए छठ करने वाले लोगों को हमारा प्रयास ऊर्जा प्रदान करता है। हम विश्व भर के छठ करने वाले व्रती को एक मंच पर लाएंगे, छठ सत्य को धारण करने का व्रत है, आज असत्य पर विजय प्राप्त करने के लिए मिलावट खोरी से लड़ने के लिए नदी तालाब पोखर को बचाने के लिए, चल रही सभी समस्याओं का समाधान छठी माई हैं । उपयुक्त जानकारी छठी मैया फाउंडेशन के सचिव गुलशन कुमार ने दी।