देश में गेहूं की कीमत में उछाल के बीच सरकार ने बड़ा फैसला किया है. प्राइस कंट्रोल के लिए सरकार ने तत्काल प्रभाव से गेहूं निर्यात को बैन (India bans export of wheat) करने का फैसला किया है. इस संबंध में सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना के मुताबिक, घोषणा से पहले या उस दिन तक जिस शिपमेंट के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट जारी कर दिया गया है उतने गेहूं का निर्यात किया जाएगा. महंगाई में उछाल के कारण सरकार ने यह फैसला लिया है. अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई 7.79 फीसदी रही जो आठ सालों का उच्चतम स्तर है. अप्रैल महीने में फूड इंफ्लेशन 8.38 फीसदी रहा.

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है और वह इस समय घरेलू बाजार में कीमत में तेजी का सामना कर रहा है. दरअसल ग्लोबल मार्केट में गेहूं की डिमांड बढ़ गई है. यूक्रेन क्राइसिस के कारण ब्लैक सी रूट से गेहूं शिपमेंट बुरी तरह प्रभावित हुई है. ऐसे में भारत से मांग बढ़ी और निर्यात में भी उछाल आया. भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 कुल 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है. यूक्रेन क्राइसिस के बाद से भारत से निर्यात होने वाले गेहूं में उछाल आया है.

कीमत में 40 फीसदी तक उछाल

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का नतीजा है कि भारत से गेहूं के निर्यात और मांग दोनों में बंपर उछाल आया है. केवल अप्रैल महीने में भारत ने रिकॉर्ड 14 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है. डिमांड के मुकाबले सप्लाई घटने के कारण ग्लोबल मार्केट में गेहूं की कीमत में 40 फीसदी तक का उछाल आया है. इसका असर डोमेस्टिक मार्केट में भी दिख रहा है.

63 महीने के उच्चतम स्तर पर व्हीट इंफ्लेशन

मार्च महीने में भारत का होलसेल व्हीट इंफ्लेशन रेट 14 फीसदी रहा जो 63 महीने का उच्चतम स्तर है. इससे पहले दिसंबर 2016 में होलसेल व्हीट इंफ्लेशन रेट इससे ज्यादा था.


पैदावार में गिरावट का अनुमान

पांच सालों तक रिकॉर्ड उत्पादन के बाद इस साल भारत में गेहूं उत्पादन में गिरावट का अनुमान लगाया गया है. जून में समाप्त हो रहे क्रॉप ईयर के लिए सरकार ने पहले 111.32 मिट्रीक टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया था. अब इसे 5.7 फीसदी घटाकर 105 मिलियन टन कर दिया है. इसके अलावा गेहूं की सरकारी खरीद के लक्ष्य को भी आधा किया जा सकता है. नॉर्थ और वेस्ट इंडिया में गर्मी और लू के कारण गेहूं फसल को भारी नुकसान पहुंचा है.

आटा की कीमतों में भी आएगा उछाल

मांग में तेजी के कारण इस साल गेहूं की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक चल रही है. यहीं कारण है कि किसान सरकारी खरीद एजेंसियों पर गेहूं बेचने के बजाय सीधे व्यापारियों को बिक्री कर रहे हैं. गेहूं निर्यात (Wheat Export) के बेहतर अवसर के कारण ट्रेडर्स सीधे किसानों से गेहूं की खरीद कर रहे हैं. वहीं आटा मिल वालों ने भविष्य में दाम बढ़ने की आशंका के बीच काफी गेहूं स्टोर कर लिया है.

Source : TV9

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