ले जा मेरी दुआएं, परदेस जाने वाले… स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने ये खूबसूरत नगमा दिलीप कुमार और नरगिस की फिल्म ‘दीदार’ के लिए गाया था. इस गीत में विरह के उस अहसास को दर्शाया गया जो किसी करीबी के दूर चले जाने पर महसूस होता है. शायद ऐसी ही अवस्था में शाहरुख खान रहे होंगे, जब वो अपनी प्रिय गायिका लता दीदी को आखिरी सफर पर जाते देख रहे थे.

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6 फरवरी की शाम मुंबई के शिवाजी पार्क में देश की नामचीन हस्तियों का हुजूम था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तक, हर कोई नतमस्तक था. मृत्यु शैया पर सबकी प्यारी लता दीदी का पार्थिव शरीर था और हर कोई उनका दीदार कर अंतिम विदाई दे रहा था.

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बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान जब लता दीदी को आखिरी सलाम देने पहुंचे तो दुआ में उनके दोनों हाथ उठे. शाहरुख ने खुदा से लता दीदी की आत्मा की शांति के लिए दुआ की. दुआ पढ़कर मास्क हटाया और फूंक भी मारी. लता दीदी के दीदार किए और चरणों को छूकर अपना प्रेम-सम्मान जाहिर किया. हाथ जोड़कर नमन भी किया. फूंक को ‘थूकना’ बताकर भी सवाल किए जा रहे हैं.

लता दीदी को शाहरुख का ये आखिरी सलाम भी चर्चा का विषय बन गया. किसी ने तारीफ में कसीदे पढ़े तो किसी ने ‘फूंक मारने’ को ‘थूकना’ बताकर एक नई बहस छेड़ दी. इस बहस के बीच सवाल ये है कि आखिर शाहरुख ने जो किया वो क्या था?

इस्लाम में फूंक मारने की परंपरा क्या है?

इस्लामिक परंपरा के मुताबिक, जब कोई दुआ की जाती है तो उसके लिए दोनों हाथों को उठाकर सीने तक लाना होता है और अल्लाह से मिन्नतें की जाती हैं. ये ठीक वैसे ही है, जैसे किसी के आगे झोली फैलाने की बात कही जाती है, उसी तरह दोनों हाथ एक साथ मिलाकर फैलाए जाते हैं और अल्लाह के सामने अपनी अर्जी लगाई जाती है.

किसी के स्वस्थ होने की दुआ, किसी की नौकरी की दुआ, या किसी आत्मा की शांति के लिए दुआ…दुआ कुछ भी हो सकती है. दोनों हाथ फैलाकर दुआ मांगने की तस्वीरें फिल्मों में भी नजर आ जाती हैं. शाहरुख ने लता दीदी के पार्थिव शरीर के सामने जो किया वो यही था. उन्होंने जरूर लता दीदी की रूह को सुकून मिलने की दुआ की होगी, जैसा कि लता दीदी के लाखों-करोड़ों फैंस कर रहे थे.

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शाहरुख जब अपने दोनों हाथ फैलाकर दुआ कर रहे थे तब उनके चेहरे पर ब्लैक मास्क था. करीब 12 सेकंड तक उन्होंने दुआ की और फिर मुंह से मास्क हटाया. मास्क हटाकर वो हल्का सा झुके और लता दीदी के पार्थिव शरीर पर फूंक मारी.

इस फूंक मारने को थूकना कहकर भी सवाल पूछे जा रहे हैं. ट्विटर पर बीजेपी के हरियाणा आईटी सेल के इंचार्ज अरुण यादव ने भी वीडियो शेयर करते हुए ये सवाल उठाया था.

इस्लामिक नजरिए से समझें, तो दुआ का ये तरीका बड़ा आम है. हमने-आपने भी मस्जिदों या दरगाहों पर ऐसे दृश्य देखे होंगे जब कोई मां-बाप अपने बच्चे के लिए मुफ्ती या मौलाना से दुआ करा रहे होते हैं, वो दुआ करते हैं और फिर बच्चे के ऊपर फूंक मारते हैं. ऐसा बड़ों के लिए भी हो सकता है और किया भी जाता है क्योंकि दुआ किसी भी इंसान के लिए की जाती है. तंत्र-मंत्र विद्या में भी फूंक मारने का तरीका अपनाया जाता है.

दुआ और फूंक मारने पर इस्लामिक जानकार क्या कहते हैं?

इस मसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली का कहना है कि आम तौर पर जब कोई बीमार होता या किसी को नजर लग जाती है तो उसकी हिफाजत के लिए, उसके ठीक होने के लिए दुआएं पढ़कर दम किया जाता है. दुआ पढ़कर फूंक मारने को ‘दम’ करना भी कहते हैं. यानी अगर किसी बीमार के लिए कोई दुआ की गई है तो उस दुआ को पढ़कर, बीमार के ऊपर फूंक मारी जाती है. कहा जाता है कि ये उस दुआ के असर को बीमार के शरीर तक पहुंचाने का एक तरीका है. यानी दुआ में कुरान की जिस आयत को पढ़ा जाता है, उसका असर उस इंसान तक पहुंचाने का ये एक तरीका है. हालांकि, ये जरूरी नहीं है कि अगर दुआ पढ़कर फूंक मारी जाए तभी असर होता है, लेकिन ये भी दुआ का एक तरीका है.

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एक और इस्लामिक जानकार मुफ्ती अमज़द ने बताया कि कुरान में जिक्र है कि कुछ लोग गिरह लगाकर और फूंक मारकर जादू करने का काम करते थे, जिनसे मुक्ति पाने के लिए दुआ करने और फूंक मारने का तरीका भी अपनाया गया. यानी फूंक मारने का मकसद, कुरान की आयतों के जरिए किसी की मदद करने या किसी दुख से मुक्ति पाना है.

बता दें कि इस्लाम में इस बात की मान्यता है कि इंसान अपनी हर परेशानी या बीमारी के लिए सबसे पहले खुदा से दुआ करे, इसके लिए कुरान की अलग-अलग आयतें पढ़ी जाती हैं. बीमारी से ठीक होने, कारोबार में तरक्की मिलने या दूसरी बाकी चीजों के लिए भी अलग-अलग दुआएं हैं. ठीक ऐसे ही जब किसी की मौत होती है तो उसके लिए भी कुरान की अलग-अलग आयतें पढ़ी जाती हैं. मुमकिन है शाहरुख ने भी कोई ऐसी ही आयत पढ़कर लता दीदी के लिए दुआ की होगी.

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हालांकि, दुआ पढ़ने के बाद शाहरुख ने जो फूंक मारी वो तरीका सिर्फ जिंदा इंसान के लिए अपनाया जाता है. मौलाना खालिद रशीद ने बताया कि, ”दुआ पढ़कर फूंक मारने का तरीका किसी जिंदा इंसान पर अपनाया जाता है, मरे हुए इंसान पर दम नहीं किया जाता है.”

मौलाना खालिद ने ये भी कहा कि शाहरुख खान एक स्टार हैं और उन्होंने सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए ऐसा किया, लिहाज़ा इसे मजहब से जोड़ना भी सही नहीं है.

आपको बता दें कि शाहरुख ने जब दुआ पढ़कर फूंक मारी तब उन्होंने अपनी गर्दन को हल्का सा झुकाया लेकिन इसके तुरंत बाद ही वो पूरी तरह झुके और लता दीदी के चरणों के स्पर्श करते हुए दोनों हाथ जोड़कर उन्हें नमन भी किया. शाहरुख के साथ उनकी मैनेजर पूजा ददलानी भी थीं. जब शाहरुख दोनों हाथ फैलाकर लता दीदी के लिए दुआ मांग रहे थे तब उनके बगल में खड़ीं पूजा दोनों हाथ जोड़कर भगवान से लता दीदी के लिए प्रार्थना कर रही थीं. तमाम लोग इस तस्वीर की भी तारीफ कर रहे हैं कि कैसे एक श्रद्धांजलि के वक्त अलग-अलग अंदाज में दो करीबी लोग नजर आ रहे हैं. इस तस्वीर को संस्कृति की खूबसूरती बताकर भी खूब शेयर किया जा रहा है.

Source : Aaj Tak

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