यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा और उसे खत्म करने को लेकर शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पर वोटिंग होने वाली है. सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों में रूस भी शामिल है. कहा जा रहा है कि रूस प्रस्ताव पर वीटो करेगा और अपने खिलाफ किसी भी प्रस्ताव को पास होने से रोकेगा. सुरक्षा परिषद के 15 अस्थाई सदस्यों में भारत भी एक है. भारत वोटिंग के दौरान क्या रुख अपनाएगा, इसे लेकर संशय बरकरार है.
Biden says, “United States will be in consultation with India today”, when asked if US and its major defence partner India were in sync over Russia. “We haven’t resolved that completely”. pic.twitter.com/LxmtsSTXzX
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) February 24, 2022
इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस को चेतावनी देते हुए कहा है कि वो ये सुनिश्चित करेंगे कि रूस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग पड़ जाए. अमेरिका पूरी कोशिश करेगा कि सुरक्षा परिषद में कम से कम 13 वोट रूस के खिलाफ हो. ऐसे अनुमान हैं कि चीन वोटिंग में शामिल नहीं होगा.
India is first non-NATO country to speak on #Ukraine in #UNSC tonight. Lots of talk about the need for diplomacy, de-escalation, etc. But no reference to Ukraine's sovereignty or condemnation of Russia.
— Richard Gowan (@RichardGowan1) February 22, 2022
अमेरिका और पश्चिमी देश यूक्रेन पर भारत के तटस्थ रुख को लेकर नाराज है और अमेरिकी अधिकारी अपने समकक्षों से लगातार बातचीत कर समर्थन की बात कह रहे हैं. ऐसे में भारत पर दबाव बढ़ता जा रहा है.
भारत ने अब तक यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर न तो रूस की आलोचना की है और न ही रूस के पक्ष में खड़ा दिखा है. कई बड़े देशों ने रूसी हमले को यूक्रेन की संप्रभुता से जोड़ा है लेकिन भारत ने अभी तक इस संबंध में कुछ नहीं कहा है.
Those who attack India for not taking a more critical view of Russia are ignoring the basic fact that it has deep ties with Russia (which has assumed a greater significance in recent yrs given the changes in Asia) and that it's also is taking decisions based on its self interest.
— Stanly Johny (@johnstanly) February 22, 2022
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत यूक्रेन को लेकर बड़े धर्मसंकट में फंस गया है. एक तरफ उसका पुराना रणनीतिक साझेदार रूस है तो दूसरी तरफ अमेरिका, जिससे भारत के संबंध हाल के दशकों में काफी मजबूत हुए हैं. चीन की बढ़ती आक्रमकता के बीच भी भारत को अमेरिका के सहयोग की जरूरत है.
सुरक्षा परिषद में आज क्या होगा भारत का रुख?
सुरक्षा परिषद में भारत आज किस करवट बैठेगा- इस पर सबकी निगाहें हैं. पाकिस्तान सहित कई देशों में भारत के राजदूत रह चुके जी पार्थसारथी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा कि भारत सरकार के लिए ये बेहद मुश्किल रहने वाला है.
उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि इस पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वोटिंग होगी. अब ये देखना दिलचस्प होगा भारत विरोध में वोट करता है या वोटिंग से बाहर रहता है.’
Reasonable take but I think it overstates India's capacity to influence Russian decision-making, at least on something as sensitive for Moscow as Ukraine. Putin simply isn't listening, and is less likely to bend to "friendly pressure" than to retaliate. It's unfortunate. https://t.co/y4luPv65Lq
— Jeff M. Smith (@Cold_Peace_) February 22, 2022
उन्होंने कहा कि हमें इस मुद्दे पर संतुलित रहने की जरूरत है. चीन का नाम लेते हुए उन्होंने कहा, ‘हमें ये देखना होगा कि दूसरे देश कैसे इस मुद्दे पर अपनी राय देते हैं. चीन भी अभी सतर्कता बरत रहा है. इसलिए हमें ये देखने की जरूरत है कि दूसरे लोग क्या कह रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि रूस ने कई ऐतिहासिक मौकों पर भारत का पक्ष लिया है और ये सच्चाई है कि रूस भारत का बहुत पुराना और विश्वासी दोस्त है. साथ ही पूर्व राजनयिक ने ये भी कहा कि पश्चिमी देश भी वैश्विक मुद्दों पर दूध के धुले नहीं हैं बल्कि इन देशों ने मिलकर नेटो के जरिए रूस को कोने में धकेल दिया है.
अमेरिका में भारत की राजदूत रह चुकीं मीरा शंकर का कहना है कि भारत अभी वेट एंड वॉट पॉलिसी का पालन कर रहा है. उन्होंने कहा कि भारत की प्राथमिकता फिलहाल यूक्रेन में युद्ध के बीच फंसे भारतीयों की सुरक्षा है.
उन्होंने आगे कहा, ‘हमें देखना होगा कि रूस कहां तक जाता है. वो दोनेत्स्क और लुहान्स्क तक ही अपना हमला सीमित रखता है या पश्चिमी यूक्रेन में घुसता है. मुझे लगता है कि अभी भारत की सरकार ने जो रुख अपनाया है, वो परिस्थितियों के हिसाब से अनुकूल है.’
अमेरिका-रूस दोनों के साथ संपर्क में है भारत
भारत यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस और अमेरिका दोनों से बातचीत कर रहा है. गुरुवार को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की थी और यूक्रेन में फंसे भारतीयों का मुद्दा उठाया. उन्होंने पुतिन से बातचीत के जरिए नेटो देशों से मुद्दे को सुलझाने और हिंसा खत्म करने का आग्रह किया.
🧵 In criticizing India's approach to the Russia-Ukraine crisis, I've seen some — esp in Europe — dismiss Indian dependence on Russia as irrelevant and something that should not affect its stance.
But it does, particularly at this moment, and here's why. 1/
— Tanvi Madan (@tanvi_madan) February 21, 2022
इधर, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से भी बात की है. ब्लिंकन ने बातचीत के दौरान कहा कि रूसी हमले की आलोचना करने, यूक्रेन से रूसी सैनिकों की वापसी और युद्ध खत्म करने के लिए तत्काल एक सामूहिक प्रतिक्रिया का आवश्यकता है.
भारत का रक्षा खरीद भी पड़ा खटाई में
भारत ने रूस से 5 अरब डॉलर का एस-400 मिसाइल सिस्टम रक्षा खरीद की है. अमेरिका रूस से रक्षा सौदा करने वाले देशों पर CAATSA के तहत कड़े प्रतिबंध लगाता है. अमेरिका ने अभी तक भारत पर रूस से रक्षा खरीद को लेकर कानून का इस्तेमाल नहीं किया है लेकिन कहा जा रहा है कि अगर भारत रूस के पक्ष में गया तो अमेरिका भारत पर रूस से रक्षा खरीद को लेकर कड़े प्रतिबंध लगा सकता है. रूस से भारत की अन्य रक्षा खरीद भी प्रभावित हो सकती है.
रूस के खिलाफ नहीं बोलने वाले देशों को अमेरिका की दो टूक
जो देश यूक्रेन पर हमले के खिलाफ अमेरिका के साथ नहीं हैं या रूस का समर्थन कर रहे हैं, उनके प्रति अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपना गुस्सा भी जाहिर किया है. गुरुवार को व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जो देश रूस की खुली आक्रामकता और यूक्रेन में अनुचित युद्ध शुरू करने के खिलाफ नहीं बोल रहे, ये उन पर एक धब्बा है.
उन्होंने कहा, ‘कोई भी राष्ट्र जो यूक्रेन के खिलाफ रूस की खुली आक्रामकता का समर्थन कर रहा है, उसके लिए ये एक कलंक समान है. जब इस क्षेत्र का इतिहास लिखा जाएगा, तो यूक्रेन पर पूरी तरह से अनुचित युद्ध के पुतिन के फैसले ने रूस को कमजोर और बाकी देशों को मजबूत बना दिया होगा.’
Source : Aaj Tak