तेजस्वी जीतेंगे या मनोज हारेंगे?

कुढ़नी उप चुनाव के मतदान के दौरान शाम के तीन बजे से मेरा मोबाइल घनघनाने लगा। मुझे शहर से बाहर एक रिसेप्शन में शामिल होना था। समय पर परिवार के साथ निकलने की आपाधापी में दोपहर से ही कुढ़नी के गांवों से मेरा संपर्क टूट गया। मैं गाड़ी ड्राइव करते समय मित्रों- शुभचिंतकों के काॅल रिसीव करने की स्थिति में नहीं था। हालांकि, मैं नाम पढ़कर समझ रहा था कि सब लोग कुढ़नी का रूझान जानने के लिए काॅल कर रहे हैं , परन्तु मेरे पास उनके लिए विश्वसनीय इनपुट नहीं था।

अगले दिन घर लौटने ही मैं हार जीत के हवा -हवाई दावों में उलझ गया। जमीनी हकीकत हासिल करने में मुझे बहुत मशक्कत करनी पड़ी। जैसे- जैसे मुझे अलग- अलग गांवों से सूचनाएं मिली, मैं चौंकता रहा। कुल मिलाकर जो परिणाम आने वाला है, वह सोशल मीडिया पर बड़े-बड़े दावे करने वाले मित्रों को भौंचक्का कर देगा। शुरू के चार दिनों तक मनोज कुशवाहा की करारी हार तय मानी जा रही थी। उसके बाद राजद विधायकों की मोर्चाबंदी से हर दिन तस्वीर बदलती रही। महागठबंधन का ग्राफ बढ़ता गया। दूसरी तरफ भाजपा सांसद अजय निषाद और भाजपा विधायक बोचहां की तरह कुढ़नी में भी अप्रासंगिक रहे। हां, पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा ने भूमिहार समाज में विभाजन रोकने का सार्थक प्रयास किया। एक और रोचक बात है। जब भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अजीत कुमार का काफिला भूमिहारों के गांव में उतरा तो मल्लाहों ने निलाभ कुमार का अभियान थामा। जेडीयू एमएलसी दिनेश सिंह तो मनोज कुशवाहा के मुख्य रणनीतिकार थे, जबकि उनकी पत्नी सांसद वीणा देवी भाजपा का प्रचार करती दिखीं। दोनों एनडीए सांसदों ने क्या किया, यह चर्चा का विषय है।

सबसे पहले भाजपा की जीत के बहुप्रचारित दावों पर गौर कीजिए। अगड़ी जातियों के वोट भाजपा की झोली में गए। यादवों का 25 से 40 प्रतिशत वोट भाजपा को मिला! मुसलमान वोट खूब विभाजित हुए हैं और ओवैसी की एआईएमआईएम को 10000 से अधिक वोट मिलेंगे! वैश्य, अनुसूचित जाति ( खासकर पासवान), मल्लाहों- मुशहर वोटरों का एक हिस्सा, पचफोड़ना ( अति पिछड़ी जातियों का समूह, जिनकी गिनती नहीं की जाती है) के वोट भाजपा को मिले हैं। इसके बावजूद भाजपाई बड़ी जीत के दावे नहीं कर पा रहे हैं। भाजपाइयों के दावे पर गौर कीजिए – कुल मिलाकर हम जीत जाएंगे। दो – चार हजार से ही सही, हम जीत रहे हैं। कुछ ऐसे भाजपा नेता भी हैं जो भले ही किसी गांव में 50 वोट ट्रांसफर कराने की इमानदार कोशिश नहीं किए हैं, परन्तु 15 हजार से जीत का दावा कर रहे हैं।

भाजपाइयों के इन दावों पर मुस्लिम वोटर मुस्कुरा रहे हैं। उनका दावा है कि यादव, मुस्लिम, कुशवाहा, कुर्मी वोटरों ने जिस मुस्तैदी से वोट डाले हैं, परिणाम आने पर राजनीतिक पंडितों के पसीने छूट जाएंगे। शेरपुर पंचायत के पूर्व मुखिया मो. अली इरफान उर्फ अफरोज विगत पंचायत चुनाव में सीमावर्ती कुढ़नी प्रखंड में जिला परिषद का चुनाव लड़े थे। हालांकि वे चुनाव हार गए थे, लेकिन कुढ़नी के गांवों से उनके गहरे ताल्लुकात बने। अ‌फरोज स्वीकारते हैं कि वीआईपी उम्मीदवार भूमिहार मतों में विभाजन नहीं करा सके हैं। वे भूमिहार मतों का 95 प्रतिशत भाजपा को और सिर्फ 5 प्रतिशत वीआईपी उम्मीदवार निलाभ कुमार के पक्ष में जाने का दावा करते हैं। ठीक इसी के समानांतर एआईएमआईएम उम्मीदवार मुर्तजा अंसारी भी मुस्लिम मतों में विभाजन नहीं करा सके हैं। गोपालगंज के परिणाम से सबक ले चुके राजद ने मुसलमान वोटरों पर पूरा फोकस रखा। वोट बंटने नहीं दिया।

nps-builders

जिस युवा मुस्लिम ने ओवैसी की पार्टी को वोट दिया भी है, उसके पिता व परिजन महागठबंधन उम्मीदवार मनोज कुशवाहा के पक्ष में वोट डाल आए हैं। अगर शेख या सैयद जाति का उम्मीदवार खड़ा होता तो अधिक वोट काट पाता। धुनिया व राइन भी अधिक मजबूत होते। मुर्तुजा अंसारी तो अंसारी वोट भी नहीं ले सके। अंसारियों को दूसरे मुसलमानों ने चेतावनी दी – अगर अपनी जाति के उम्मीदवार को वोट दोगे तो आगे किसी आफत में हमसे मदद की उम्मीद मत करना। अंसारियों ने जेडीयू को वोट देने में ही भलाई समझी। मुर्तुजा अंसारी जब जिला पार्षद निर्वाचित हुए थे, क्षेत्र के लोगों का विश्वास कायम नहीं रख सके। दोबारा जिला परिषद के चुनाव में खड़े हुए तो उनकी न सिर्फ शर्मनाक हार हुई, बल्कि उनका वोट भी बहुत घट गया। मदरसा कमेटी की अध्यक्षता में भी उनकी शाख पर बट्टा लगा। यही वजह है कि कुढ़नी उप चुनाव में मुसलमानों ने उन पर भरोसा नहीं किया। उन्हें 5000 वोट तो मिल जाएंगे, के जवाब में अफरोज ने कहा – ढाई से तीन हजार बहुत हो गया। उत्तेजक भाषण पर भड़कने वाले मुसलमानों ने ही ओवैसी की पार्टी को वोट दिया है।

अगर कोई कहता है कि 25 प्रतिशत से अधिक यादवों ने भाजपा को वोट दिया तो भ्रम में है। इस चुनाव में तेजस्वी यादव जीतेंगे या मनोज कुशवाहा हारेंगे। तेजस्वी यादव ने अलग -अलग जगहों पर सभाएं कर समा बांधा। तेजस्वी ने कहा- “कुढ़नी जीत जाएंगे तो लालू जी भी पूरी तरह स्वस्थ हो जाएंगे। मैं तीन दिसंबर को सिंगापुर जा रहा हूं। पांच को उनका ऑपरेशन है। हम चाहते हैं कि जब ऑपरेशन के बाद वे होश में आएं और कुढ़नी का हाल पूछें तो हम बता सकें कि कुढ़नी की जनता हमें ही प्यार देगी‌। यहां से हम निश्चिंत होकर जाएंगे, क्योंकि हमें आप पर भरोसा है।” यादवों ने उनका भरोसा टूटने नहीं दिया है। कुढ़नी ने एक बार फिर साबित किया कि यादवों का नेता बनने के लिए नित्यानंद राय को दोबारा जन्म लेना पड़ेगा। भले ही चिराग पासवान में आस्था रखने वाले और ताड़ी पीने के आरोप में पुलिस जुर्म झेल रहे पासवान वोटरों ने भाजपा का समर्थन किया है, लेकिन पढ़े लिखे पासवानों ने महागठबंधन के पक्ष में सोशल मीडिया पर अभियान चलाया। उनके 25 प्रतिशत वोट महागठबंधन की झोली में गए। चमार और बढ़ई का बड़ा हिस्सा भाजपा में गया है। लोहार ऊपर से भाजपा की माला जपते रहे, लेकिन लोहार जाति को ओबीसी की श्रेणी से हटाए जाने के खिलाफ चुपचाप तीर छाप वाला बटन दबा आए हैं। मुसलमानों को भरोसा है कि कुशवाहा वोटर 2015 की तरह टूटे नहीं, एकजुट रहे हैं। उनके गणित में 10 प्रतिशत राजपूत वोट भी हैं। मुसलमानों की मानें तो जेडीयू 15 से 20 हजार मतों से जीत रहा है। हर पंचायत में बड़े पैमाने पर वोट खरीदे जाने और दलाल के बजाय सीधे घर घर में पैसे पहुंचाने की भी व्यापक रूप से चर्चा चल रही है।

हालांकि जेडीयू छोड़कर एक बार फिर भाजपा में सक्रिय अशोक सिंह ( गायघाट) बताते हैं कि रुपए बांटने से कुछ असर पड़ता है, बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती है। भाजपा के अभियान में स्लीपर सेल की तरह काम करने वाले अशोक सिंह स्वीकार करते हैं कि सकरी, चैनपुर बाजिद, बसौली,चढुआ समेत पांच पंचायतों में महागठबंधन कुल मिलाकर 10 हजार की बढ़त लेगा। कई ऐसी पंचायतें हैं, जहां महागठबंधन 200 से लेकर 500 तक की बढ़त बनाएगा। अशोक सिंह की मानें तो भाजपा भी कुढ़नी की 24 पंचायतों में 200 से लेकर 2000 तक की बढ़त बनाने जा रही है। अगर चैनपुर बाजिद पंचायत ने महागठबंधन को 2000 की बढ़त दे डाली तो भाजपा की मुश्किल बढ़ेगी। उनकी मानें तो मुसलमानों के बूथ पर जहां पहले 90 प्रतिशत मतदान होता था, वहां इस बार 55 से 70 प्रतिशत वोट डाले गए हैं। अशोक सिंह कहते हैं कि अगर कुर्मी बहुल पांच पंचायतों में भाजपा को बढ़त का दावा सच निकला तो भाजपा की जीत तय है। हालांकि अशोक सिंह भी गर्मजोशी से बड़ी जीत का दावा नहीं कर रहे हैं। वे कहते हैं कि जनता अब नीतीश कुमार से उब चुकी है।

कुढ़नी उप चुनाव में मुसलमान गुप्त रणनीति पर काम करते रहे। मीडिया कर्मियों के सवाल पर बसौली पंचायत की मुखिया के पति मो. फैजुद्दीन कहते रहे कि मुसलमान ओवैसी की पार्टी को वोट देने जा रहे हैं, अंदर अंदर उन्होंने बसौली में महागठबंधन की बड़ी बढ़त दिलाने के लिए वोटरों को लामबंद किया। कुढ़नी में अगर भाजपा जीत भी गई तो इसका श्रेय उन भूमिहारों को नहीं मिलेगा, जिन्होंने स्वजातीय निलाभ कुमार की एक नहीं सुनी। भाजपाइयों की आंखों में मोतियाबिंद है। उन्हें मुजफ्फरपुर, बोचहां, कुढ़नी, सकरा, औराई, कांटी, पारू, साहेबगंज, बरूराज व गायघाट में भूमिहार वोट तब दिखाई देते हैं, जब संसदीय व विधानसभा चुनावों में वोट लेना रहता है। जब टिकट देने का समय आता है, भाजपाई एक स्वर से सवाल उठाते हैं कि मुजफ्फरपुर में भूमिहार है कहां? बहरहाल अगर भाजपा जीती तो नित्यानंद राय, संजय जायसवाल और अजय निषाद अपनी अपनी बांह पुजवाते नहीं थकेंगे। गाल बजाने वाले भाजपाई यह नहीं स्वीकार करेंगे कि यह उनकी जीत नहीं, नीतीश कुमार और मनोज कुशवाहा की अलोकप्रियता की हार है। मनोज कुशवाहा की हार हुई तो वे भूमिहार भी बांहों को फैलाएंगे जिन्होंने निलाभ को वोट नहीं दिया है। निलाभ कुमार को चाहे जितना वोट मिले, उसमें मल्लाहों की हिस्सेदारी अधिक होगी, फिर भी कुछ भूमिहार गाल बजाएंगे -हमने निलाभ को वोट देकर भाजपा को धूल चटाई है। इतना तय है कि नीतीश कुमार के प्रति भयानक आक्रोश और मनोज कुशवाहा के प्रति वोटर की नापसंदगी के बावजूद अगर भाजपा नहीं जीतती है तो यह नित्यानंद राय, अजय निषाद समेत पूरी भाजपा की शर्मनाक हार होगी।

Source : Bibhesh Trivedi

Genius-Classes

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *