ओमिक्रॉन आने से पहले ऐसा लगा कि काम करने का तरीका शायद फिर से पहले ही की तरह हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. संक्रमण के डर के चलते सरकार से लेकर बड़ी तकनीक से जुड़ी कंपनी और कॉरपोरेशन ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने का आदेश जारी रखा ताकि शारीरिक दूरी बनी रहे और कोविड के फैलने का खतरा कम हो सके. इसमें कोई दो राय नहीं है कि वर्क फ्रॉम होम करने से जिंदगी कुछ तो आसान हुई. मसलन लोगों के लिए अब घंटों सफर करके दफ्तर जाने का झंझट नहीं रहा, लोग बड़े शहरों में घर पर बैठ कर काम करने के बजाए अपने पैतृक निवास पर जाकर आसानी से काम कर रहे हैं. लेकिन इसका एक बड़ा नुकसान यह हुआ है कि अब व्यक्ति की निजी और पेशेवर जिंदगी में फर्क नहीं रहा है. एक आईटी कंपनी में काम करने वाले मोहित गुप्ता ने पीटीआई को बताया कि इससे उनकी जिंदगी में काम का संतुलन पूरी तरह बिगड़ चुका है. बस एक बड़ा फायदा यही है कि मैं अपने परिवार के साथ हूं और इस काम की नई संस्कृति की वजह से मेरा परिवार सुरक्षित है.
काम का बढ़ गया है बोझ
माइक्रोसॉफ्ट का 2021 वर्क ट्रेंड इंडेक्स भी मोहित की बात से सहमत नजर आता है, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि ज्यादा उत्पादकता ने लोगों को बुरी तरह से थका दिया है. मोहित कहते हैं कि अब उन्हें ज्यादा काम करना पड़ रहा है. कई बार तो वह नहा तक नहीं पाते हैं. दफ्तर का समय बढ़ कर सुबह 9 से रात के 11 बजे तक हो चुका है. इस तरह कहने को मैं परिवार के साथ रह रहा हूं, लेकिन अब परिवार को और कम वक्त दे पा रहा हूं.
वर्क फ्रॉम होम और नियोक्ता
साफ तौर पर दफ्तर से दूर काम करने से नियोक्ताओं को लाभ है. लागत में कमी, कर्मचारियों का ज्यादा देर तक काम करना ,भर्ती में आसानी, कंपनियों की इसमें व्यवसायिक लागत भी कम आती है, मसलन फर्नीचर, बिजली, पानी, दफ्तर का किराया और दूसरे तमाम खर्चे जो दफ्तर खोलने पर किए जाते हैं सभी कम हो जाते हैं.
शशि थरूर ने कहा- भारत को अवसर का लाभ उठाना चाहिए
सांसद शशि थरूर ने ट्विटर पर कहा कि महामारी और वर्क फ्रॉम होम को लेकर पश्चिमी कंपनियों को समझ में आया है कि अमेरिका में दूरस्थ काम से विदेश से काम कराना कितना सस्ता हो सकता है. इसके चलते भारतीय लहजे को अमेरिकी लहजे में बदलने वाले सॉफ्टवेयर फल-फूल रहे हैं जिससे रियल टाइम में काम हो जाता है. ऐसे में भारत को अवसर का लाभ उठाना चाहिए.
फेसबुक, ट्विटर, गूगल जैसी अमेरिकी कंपनियों सहित भारत की भी कई कंपनियां भी अब वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा दे रही है. मसलन टाटा स्टील की वर्क फ्रॉम पॉलिसी जिसे एजाइल वर्किंग मॉडल कहा जाता है उसके तहत कर्मचारियों को पूरे साल भर वर्क फ्रॉम होम चुनने का अधिकार है.
वर्क फ्रॉम होम से महिलाओं पर बढ़ा बोझ
पायल सरकारी स्कूल में शिक्षका हैं. वह अपनी दो साल के बेट के साथ-साथ घर और ऑनलाइन क्लास संभालती हैं जो उन्हें बुरी तरह थका देता है. उनका कहना है कि शादीशुदा महिला के लिए वर्क फ्रॉम होम बेहद मुश्किलों से भरा हुआ है. घर में बहुत सारे काम होते हैं. उसी दौरान आपको ऑनलाइन क्लास या ई-वेबिनार लेना होता है. सब कुछ साथ-साथ करते-करते दिमाग के साथ शरीर भी थक जाता है.
महिलाओं की पेशवर जिंदगी में बढ़ोतरी पर काम करने वाली संस्था पिंक लैडर की हाल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक वर्क फ्रॉम होम के चलते 10 में से 4 महिलाएं एंजाइटी और स्ट्रेस का शिकार हो रही हैं. इसी तरह इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि ऐसी महिलाओं के मामले तेजी से बढ़ रहे है जिन्हें डबल बर्डन सिंड्रोम हो रहा है, यानी वो पेशेवर और निजी जिंदगी के बीच बुरी तरह पिस रही हैं और काम को लेकर उनके उत्साह में लगातार गिरावट आ रही है.
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने क्या कहा?
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भी कहा था कि वर्क फ्रॉम होम के फायदे तो हैं, लेकिन इससे कामकाजी महिलाओं पर तिहरा दबाव बन गया है. मनोरम इयरबुक 2022 में प्रकाशित पत्र यंग इंडियन में उन्होंने कहा है कि महिलाएं पहले से ही भुगतान वाले काम और ऐसा काम जिसका कोई भुगतान नहीं होता (घरेलू काम) के बोझ से दबी हुई हैं. इसके अलावा इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक आभासी वर्कप्लेस के साथ काम करने का एक बड़ा नुकसान डिजिटिल यौनिक शर्मिंदगी की घटनाएं होना, अनुपयुक्त तस्वीरों का साझा होना, अनुपयुक्त कपड़ों में काम करने की घटनाओं में भी बढ़ोतरी देखी गई है.
वर्क फ्रॉम होम का आर्थिक असर
वर्क फ्रॉम होम से एक बड़े तबके को आर्थिक नुकसान भी हुआ है. जैसे कंपनियों में चल रही कैंटीन, कर्मचारियों को छोड़ने-लाने वाली गाड़ियों के ड्राइवर, कंपनी के आगे चाय, नाश्ता और खाना बेचने वाले, रेहड़ी वाले, रिक्शे वाले जो कर्मचारियों को कंपनी से लेकर किसी नियत स्थान तक छोड़ते हैं. इन तमाम अर्ध कुशल कामगारों से काम छिना है. लेखक विवेक कौल लाइव मिंट में लिखते हैं कि वर्क फ्रॉम होम की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था का एक तिहाई हिस्सा जिस असंगठित क्षेत्र से आता है उस पर बुरा असर पड़ा है.
Source : News18