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राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा होंगे संयुक्त उम्मीदवार, विपक्ष की बैठक में लिया गया फैसला

पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के धुर विरोधी माने जाने वाले यशवंत सिन्हा को सर्वसम्मति से विपक्षी पार्टियों द्वारा मंगलवार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुशी जाहिर करते हुए उन्हें बधाई दी। ममता ने सिन्हा को एक कुशाग्र बुद्धि का राजनेता बताते हुए कहा कि वह निश्चित रूप से हमारे महान राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाले मूल्यों को बनाए रखेंगे।
अभिषेक ने भी दी बधाई
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने ट्वीट किया- मैं यशवंत सिन्हा को आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए सभी प्रगतिशील विपक्षी दलों द्वारा समर्थित सर्वसम्मत उम्मीदवार बनने पर बधाई देती हूं। वह कुशाग्र बुद्धि के व्यक्ति हैं। निश्चित रूप से वे हमारे महान राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाले मूल्यों को बनाए रखेंगे। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी यशवंत सिन्हा को बधाई दी और कहा कि मतभेद को दूर कर सभी विपक्षी दलों को एकजुट होने की जरूरत है। अभिषेक ने ट्वीट किया- हम सम्मानित हैं कि यशवंत सिन्हा को एकीकृत विपक्ष ने उम्मीदवार के रूप में मनोनित किया है। वे लंबे समय से तृणमूल से जुड़े थे। हमें अपने मतभेदों को दूर रखने की जरूरत है। हमें किसी ऐसे व्यक्ति को खोजना होगा जो भारतीय संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करेगा। बता दें कि राष्ट्रपति उम्मीदवार चुने जाने के लिए मंगलवार को राकांपा प्रमुख शरद पवार द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में ममता बनर्जी की जगह तृणमूल की ओर से अभिषेक ने ही हिस्सा लिया। बैठक में सभी विपक्षी नेताओं ने सिन्हा के नाम पर सहमति जताई। बैठक के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक संयुक्त बयान पढ़ते हुए कहा- हमें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हमने सर्वसम्मति से यशवंत सिन्हा को 18 जुलाई, 2022 को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों के उम्मीदवार के रूप में चुना है।
ममता ने सबसे पहले की थी पहल
बता दें कि ममता ने सबसे पहले विपक्षी की ओर से राष्ट्रपति पद का संयुक्त उम्मीदवार उतारने की पहल की थी। उन्होंने बीते 15 जून को दिल्ली में विपक्षी नेताओं के साथ इसको लेकर बैठक की थी लेकिन बात नहीं बन पाई थी। ममता ने सबसे पहले शरद पवार का नाम सुझाया था लेकिन उन्होंने मना कर दिया था। इसके बाद पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने भी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने की पेशकश को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद सिन्हा के नाम पर पर मुहर लगी है।
अटल सरकार में मंत्री, मोदी से बगावत फिर TMC से बने सांसद… ऐसी है यशवंत सिन्हा की राजनीतिक यात्रा
नौकरशाह से राजनेता बने यशवंत सिन्हा को विपक्ष ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में सर्वसम्मति से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। 1993 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने यशवंत सिन्हा के भाजपा में शामिल होने की घोषणा करते हुए एक संवाददाता सम्मेलन में इसे पार्टी के लिए “दिवाली उपहार” कहा था।
लाल कृष्ण आडवाणी के बेहद करीबी माने जाने वाले यशवंत सिन्हा 1998 से 2004 की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में प्रतिष्ठित वित्त और विदेश मंत्रालयों का नेतृत्व किया। इस बीच उन्होंने नरेंद्र मोदी की उभार के बाद बगावत करते हुए भाजपा छोड़ दी और अपनी राजनीतिक प्रोफ़ाइल को नया रूप दिया। पूर्व नौकरशाह ने तब से लेकर अब तक एक लंबी दूरी तय की है।
विपक्षी दलों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान में भाजपा और उसके सहयोगियों से यशवंत सिन्हा का समर्थन करने की अपील की “ताकि हम एक योग्य ‘राष्ट्रपति’ को निर्विरोध निर्वाचित कर सकें।”
6 नवंबर 1937 को जन्मे सिन्हा ने पटना में स्कूल और विश्वविद्यालय में पढ़ाई की। 1958 में, उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में परास्नातक पूरा किया और 1958 से 1960 तक अपने ही महाविद्यालय में राजनीति विज्ञान पढ़ाया। 1960 में वह भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल हुए और अपने 24 साल के कार्यकाल के दौरान कई पदों पर रहे।
सिन्हा ने 1984 में आईएएस से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए। 1986 में उन्हें अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया गया और 1988 में राज्यसभा के लिए चुने गए।
जब वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल का गठन हुआ, तो सिन्हा को इसका महासचिव बनाया गया। उन्होंने नवंबर 1990 से जून 1991 तक चंद्रशेखर के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री के रूप में काम किया, जिन्होंने जनता दल को विभाजित किया और समाजवादी जनता पार्टी का गठन किया। सिन्हा जून 1996 में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने और मार्च 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रीमंडल फिर से वित्त मंत्री बनाए गए।
वह झारखंड में अपने संसदीय क्षेत्र हजारीबाग से लोकसभा चुनाव लड़ते थे। 2014 में, भाजपा ने उनकी जगह उनके बड़े बेटे जयंत को वहां से मैदान में उतारा था। इसके बाद 2018 में यशवंत सिन्हा ने सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी, लेकिन 2021 में, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, वह ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए और पार्टी के उपाध्यक्ष बने।
मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस से अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए सिन्हा ने ट्वीट किया, “मैं ममता जी का आभारी हूं कि उन्होंने तृणमूल कांग्रेस में मुझे जो सम्मान और प्रतिष्ठा दिया। अब समय आ गया है जब बड़े राष्ट्रीय हित के लिए मुझे पार्टी से हटकर अधिक विपक्षी एकता के लिए काम करना होगा। मुझे यकीन है कि वह इस कदम को स्वीकार करेंगी।”
Source : Dainik Jagran & Jansatta
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1 जुलाई से नहीं लागू हो रहे नए श्रम कानून, करना होगा और इंतजार

अटकलों के उलट नए श्रम कानून 1 जुलाई से लागू नहीं हो रहे हैं. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा है कि नए कानूनों के 4 कोड, औद्योगिक विवाद, सामाजिक सुरक्षा, वेतन और पेशेवर सुरक्षा, पर अभी मंथन चल रहा है. बता दें कि केंद्र सरकार ने 29 श्रम कानूनों को 4 कोड में समाहित कर दिया है.
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यह ढांचागत बदलाव हैं और मंत्रालय श्रम कल्याण व व्यापार की सुगमता में संतुलन बनाने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय राज्यों, उद्योगों व अन्य हितधारकों के साथ बातचीत कर रहा है और अभी तक की वार्ता अच्छी रही है. बकौल अधिकारी, लेकिन 1 जुलाई को कोड नहीं लागू होने वाले हैं.
मंत्रालय करेगा औपचारिक घोषणा
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि एक बार सारी चीजें तय होने के बाद मंत्रालय औपचारिक घोषणा करेगा, लेकिन निकट भविष्य में इससे आसार कम हैं. बता दें कि संसद ने वेतन संबंधी कोड को 2019 में और अन्य 3 कोड्स को 2020 में पारित कर दिया था, लेकिन अभी इनमें से किसी को भी लागू नहीं किया है.
नए कोड्स से क्या बदलेगा
इनका नियोक्ता और कर्मचारी दोनों पर बड़ा प्रभाव होगा. कंपनियों के लोगों को भर्ती करना और निकालना और आसान हो जाएगा. इसके अलावा औद्योगिक हड़तालें करना बेहद मुश्किल हो जाएगा. नया राष्ट्रीय वेतन नियम लागू होगा जिससे कर्मचारियों को लाभ मिलेगा और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सोशल सिक्योरिटी के घेरे में लाया जाएगा. साथ ही वेतन की परिभाषा बदलेगी और संभवत: आपके हाथ में आने वाला वेतन घट जाएगा. जबकि रिटारयमेंट के लिए बचाई जाने वाली सेविंग्स बच जाएंगी. इस बिंदु का उद्यमी व नियोक्ता विरोध कर रहे हैं क्योंकि इससे उन पर वित्तीय दबाव बढ़ सकता है.
इसके अलावा नए कोड्स में साप्ताहिक काम के घंटों में कोई बदलाव नहीं है, लेकिन डेली वर्किंग आवर्स में चेंज हो सकता है. अगर कर्मचारी और नियोक्ता चाहें तो एक दिन में 12 घंटे काम के साथ हफ्ते में 4 दिन वर्किंग रख सकते हैं और 3 दिन का वीक ऑफ दे सकते हैं.
क्या है उद्योगों का रुख
एक सर्वे के अनुसार, 64 फीसदी कंपनियां मान रही हैं कि इन बदलावों से उनके मुनाफे-घाटे पर सीधा असर होगा. एडवाइजरी फर्म विलिस टावर्स वॉट्सन के इस सर्वे के मुताबिक, कम से कम 71 फीसदी कंपनियों ने इसके प्रभावों का आकलन करने के लिए कदम उठाए हैं. हालांकि, 34 फीसदी कंपनियां नए वेतन कोड के संदर्भ में किसी तरह के बदलाव को लेकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. 53 फीसदी कंपनियां रिटायरमेंट की आयु और लंबी अवधि में दिए जाने वाले बेनेफिट्स की समीक्षा पर विचार कर रही हैं.
Source : News18
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पैगंबर पर टिप्पणी के लिए नूपुर शर्मा को टीवी पर पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

पैगंबर पर टिप्पणी मामले में बीजेपी से निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा को पूरे देश से माफी मांगने के लिए कहा है. साथ ही कोर्ट ने केस ट्रांसफर करने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाई कोर्ट जाने के लिए कहा है.
Senior advocate Maninder Singh, appearing for #NupurSharma, tells Supreme Court that she apologised for the remarks and withdrew the comments.
Supreme Court says – she should have gone to the TV and apologized to the nation.
— The Times Of India (@timesofindia) July 1, 2022
Nupur Sharma single-handedly responsible for what is happening in the country: Supreme Court#SupremeCourt #NupurSharma pic.twitter.com/LQTE8zLTRS
— Bar & Bench (@barandbench) July 1, 2022
शुक्रवार को नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर को लेकर की गई टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की. नूपुर की ट्रांसफर अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनकी टिप्पणी ने देश भर में लोगो की भावनाओं को भड़का दिया है. आज जो कुछ देश में हो रहा है, उसके लिए वो जिम्मेदार हैं.
कोर्ट ने कहा कि हमने डिबेट को देखा है, उसको भड़काने की कोशिश की. लेकिन उसके बाद उन्होंने जो कुछ कहा, वो और ज्यादा शर्मनाक है.नूपुर शर्मा और उनकी हल्की जबान ने पूरे देश में आग लगा दी है. वो उदयपुर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए जिम्मेदार हैं.
वकील ने जब उनकी क्षमायाचना और पैगंबर पर की गई टिप्पणियों को विनम्रता के साथ वापस लेने की दुहाई दी तो पीठ ने कहा कि वापस लेने में बहुत देर हो चुकी थी. SC ने कहा कि उनकी शिकायत पर एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. लेकिन कई FIR के बावजूद उन्हें अभी तक दिल्ली पुलिस ने उनको छुआ तक नहीं है.
बता दें कि नूपुर शर्मा बीजेपी की प्रवक्ता रही हैं. उन्होंने हाल ही में एक टीवी डिबेट में पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी की थी. इसका काफी विरोध हुआ था. यहां तक कि कुवैत, यूएई, कतर समेत तमाम मुस्लिम देशों ने उनके बयान की आलोचना की थी. इसके बाद बीजेपी ने नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया था.
नूपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद की टिप्पणी को लेकर देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुआ था. इतना ही नहीं महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में उनके खिलाफ मामले भी दर्ज कराए गए हैं. वहीं, नूपुर शर्मा ने सभी मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे खारिज कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाई कोर्ट जाने के लिए है.
Source : Aaj Tak
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बाबा बर्फानी की जयकार के बीच अमरनाथ यात्रा शुरू

नुनवान: नुनवान आधार शिविर से 2,750 तीर्थयात्रियों के एक जत्थे के दक्षिण कश्मीर हिमालय में स्थित गुफा मंदिर के लिए रवाना होने के साथ ही वार्षिक अमरनाथ यात्रा बृहस्पतिवार को शुरू हो गई. उपायुक्त पीयूष सिंगला ने अनंतनाग जिले के पहलगाम में नुनवान आधार शिविर से तीर्थयात्रियों के जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
As we begin the 43-days long celebration of Shri Amarnath Ji Yatra, performed Puja of Baba Barfani earlier today. Prayed for peace, happiness and prosperity of all. pic.twitter.com/fcI5e1Ly3t
— Office of LG J&K (@OfficeOfLGJandK) June 30, 2022
सिंगला ने बताया कि 43 दिवसीय तीर्थयात्रा का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी कोशिश यह सुनिश्चित करना है कि तीर्थयात्री सुरक्षित महसूस करें और शांतिपूर्वक तरीके से मंदिर की पवित्र गुफा में शिवलिंग के दर्शन कर पाएं.’’
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जत्थे को किया रवाना
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार सुबह जम्मू शहर के भगवती नगर आधार शिविर से वार्षिक अमरनाथ यात्रा के लिए 4,890 तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को कश्मीर के पहलगाम और बालटाल आधार शिविरों की यात्रा के लिए रवाना किया था.
अधिकारियों ने बताया कि श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) ने प्राकृतिक रूप से बने बर्फ लिंगम के ऑनलाइन दर्शन करने की व्यवस्था भी की है. उन्होंने कहा कि इस साल तीर्थयात्रियों की संख्या सामान्य से अधिक होने की उम्मीद है क्योंकि यह यात्रा करीब तीन साल के अंतराल के बाद आयोजित की जा रही है.
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकतर प़्रावधान को रद्द करने के बाद यात्रा बीच में ही स्थगित कर दी गई थी, जबकि वर्ष 2020 और 2021 में कोविड-19 वैश्विक महामारी की वजह से यात्रा का आयोजन नहीं किया गया था. अमरनाथ यात्रा 11 अगस्त को रक्षा बंधन के अवसर पर समाप्त होगी.
Source : News18
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