लावारिस पशुओं पर लगाम को लेकर योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने उन किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा है जो दूध देना बंद करने पर गायों को बेसहारा छोड़ देते हैं। यूपी सरकार ने सोमवार को कहा कि ऐसे किसानों के खिलाफ पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

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पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा, ”कसाई और किसान में अंतर है। हम किसानों का ध्यान रखेंगे, कसाइयों का नहीं। अपने पशुओं को छोड़ने वालों के खिलाफ पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम के तहत केस दर्ज किया जाएगा।” वह सपा विधायक अवधेश प्रसाद की ओर से विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।

प्रसाद ने सरकार से आवारा पशुओं की समस्या को लेकर योजना और इनकी वजह से मारे गए लोगों को मुआवजे से संबंधित सवाल पूछा था। जवाब में मंत्री ने कहा, ”ये आवारा मवेशी नहीं हैं, बल्कि उन्हें छोड़ा गया है। हर कोई जानता है कि उन्हें किसने छोड़ा है। जब एक गाय दूध देती है तो उसे रखा जाता है और जब दूध देना बंद करती है तो छोड़ दिया जाता है।”

मंत्री ने कहा कि 15 मई तक 6,187 गौ आश्रय केंद्र प्रदेश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में बनाए गए हैं। इनमें 8,38,015 पशुओं को रखा गया है। गौरतलब है कि प्रदेश में छुट्टा जानवरों की वजह से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हो रहा है। विधानसभा चुनाव के दौरान इस समस्या को विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बनाया था। बीजेपी को चुनाव में नुकसान की आशंकाओं के बीच खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने कई रैलियों में ऐलान किया कि राज्य में दोबारा बीजेपी की सरकार बनने पर इस समस्या का समाधान निकाला जाएगा। योगी सरकार ने 2017 में सत्ता में आने के बाद अवैध बूचड़खानों को बंद कर दिया था।

Source : Hindustan

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