MUZAFFARPUR
आपके प्रिय कालेज ने पूरे किए 123 वर्ष, 72 छात्र व पांच प्राध्यापकों से मुजफ्फरपुर में शुरू हुआ था सफर

अब न लंगट सिंह हैं और न उनकी मिट्टी की नश्वर काया…पर यह लंगट सिंह महाविद्यालय (एलएस कालेज) मजबूत स्तंभ-सा खड़ा है। यहां जबतक शिक्षक-शिक्षार्थी सत्य धर्म का, पवित्र चिंतन, मनन करते रहेंगे, अपने आचरण में उन सपनों को ढालेंगे, वातावरण में बाबू लंगट सिंह का जीवन संगीत गूंजता ही रहेगा। ये पंक्तियां बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अवकाश प्राप्त रीडर डा. सुरेंद्रनाथ दीक्षित ने अपनी पुस्तक बिहार रत्न बाबू लंगट सिंह और कालेज की विकास यात्रा में लिखी हैं। उन्होंने पुस्तक में बताया है कि कालेज की स्थापना तीन जुलाई 1899 में होने के प्रथम दो वर्षों में 72 विद्यार्थी और पांच प्राध्यापक ही थे। स्थापना काल के चार-पांच वर्ष बाद यहां विद्यार्थियों की संख्या बढ़कर 150 हो चली थी। वर्तमान में यह वटवृक्ष हो चुका है। अभी करीब 10 हजार विद्यार्थी और एक सौ प्राध्यापक इस कालेज में हैं।
शुरू में सिर्फ इंटर कला स्तर की पढ़ाई वाले इस कालेज में अब कला, वाणिज्य और विज्ञान संकाय के साथ ही दर्जनभर वोकेशनल कोर्स भी संचालित हो रहे हैं। नैक से ग्रेड ए प्राप्त करने वाला यह बीआरए बिहार विश्वविद्यालय का इकलौता कालेज भी है। प्राचार्य डा.ओमप्रकाश राय बताते हैं कि कालेज अपनी पुरानी विरासत को प्राप्त करने के लिए प्रयास कर रहा है। यहां के छात्र-शिक्षक देशभर में परचम लहरा रहे हैं।
आजादी के आंदोलन में राजनीति का मुख्य गढ़ रहा
आजादी के आंदोलन में एलएस कालेज राजनीति का मुख्य गढ़ हुआ करता था। 1942 में अगस्त क्रांति से ठीक एक महीने पूर्व यहां आइईएस डा.हरिचांद प्राचार्य बनकर आए थे। उस समय कालेज में अनेक छात्र-छात्राआं ने देशभक्ति के उदात्त भवों से प्रेरित होकर अगस्त क्रांति की उफनती ज्वालाओं में खुद को झोंक दिया था। इसी आंदोलन से निकलने के बाद वे प्रदेश और देश के नेता भी बने। तिरहुत प्रक्षेत्र के श्याम नंदन मिश्र, रामसागर शाही, रामदेव वर्मा, ललितेश्वर प्रसाद शाही, त्रिवेणी प्रसाद ङ्क्षसह व भुवनेश्वर चौधरी के नाम उल्लेखनीय हैं। देश की आजादी से लेकर पुनर्निर्माण तक में इनकी भूमिका रही। 1942 में ही देशभर में शुरू हुए भारत छोड़ो आंदोलन में यहां के विद्यार्थियों ने बड़ी भूमिका निभाई थी। कालेज से आंदोलनकारियों के जुड़ाव की जानकारी मिलने के बाद ब्रिटिश सरकार ने कालेज के ड्यूक और लंगट छात्रावास को खाली करवाकर यहां गोरी फौज का अस्थायी आवास बना दिया था।
Source: Dainik Jagran
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सावन के हरे रंग में सराबोर हुई सुहागिनें खूब लगाए ठुमके

हाय हाय रे ये मज़बूरी,तेरे सौ टकिए की नौकरी में मेरा लाखों का सावन जाए,,,,,चूडी मजा न देगी कंगन मजा न देगा, तेरे बगैर साजन सावन मजा न देगा,,,,,सावन का महीना और हरी साड़ी से लिपटी सुहागिन जब एक जगह जुटेंगी तो ठुमके भी लगेंगे।
कुछ ऐसा ही हुआ रविवार को आयोजित “हरीतिमा सावन महोत्सव” में स्थानीय कलमबाग चौक स्थित एक होटल में आयोजित महोत्सव में महिलाओं ने घर के काम काज में से खुद को आजाद कर अपने माहौल को खूब जीया।
सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कर गणेश वन्दना घर पे पधारो गज़ानन्द जी,,,,के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की।
रैम्प वाक में सावन क्विन रश्मि प्रभात रंजन,फर्स्ट रनर अप अनामिका, सेकेंड रनर अप दीपा, डांस में अर्पिता, पुष्पांजलि चुनी गई। महिलाओं ने स्वछन्द होकर खूब मस्ती की। बावजूद अपनी परंपरा को नहीं छोड़ा। अरबा चावल,दूभी,सिंदूर, बिन्दी अंजुरी में ले रुपा सिंह ने सबके खोंईच्छा भर कर विदा किए।
संचालन कवियित्री मीनाक्षी मीनल ने किया। भूमिहार महिला समाज की ओर से आयोजित महोत्सव में कविता सिंह, सपना राज,डॉ सुभद्राकुमारी, डॉ बोधि कश्यप, पल्लवी दत्ता, भावना भूषण,मंजू सिंह, अनामिका सिंह, रश्मि सुमि,सोनी तिवारी, कोमल सिंह सहित सौ से अधिक महिलाओं ने भाग लिया।
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रोक सूची में खेसरा संग थाना व वार्ड का नंबर भी

जमीन खरीद-बिक्री की रोक सूची में शामिल खेसरा के रैयतों के लिए एक और राहत भरी खबर है। अंचल व जिला स्तर पर बनने वाली रोक सूची के खेसरा के साथ अब थाना व वार्ड नम्बर भी दर्ज करना होगा। पहले रोक सूची में थाना व वार्ड नम्बर दर्ज न रहने के कारण पूरे जिले का एक नम्बर का खेसरा एक साथ ब्लॉक हो जा रहा था, जिससे रोक सूची में शामिल खेसरा की संख्या 1.10 लाख से भी ऊपर हो गई थी। इससे रैयतों को नाहक परेशानी हो रही थी और उनकी खतियानी जमीन पर रोक सूची में शामिल बतायी जा रही थी।
डीएम प्रणव कुमार ने रोक सूची में संशोधन के लिए जो नया आदेश जारी किया है, उससे लोगों को बड़ी राहत मिलने वाली है। अब रोक सूची में खेसरा के साथ ही उसका वार्ड व थाना नम्बर भी दर्ज रहेगा। इसका लाभ यह होगा कि रोक सूची में वही खेसरा शामिल होगा जिस वार्ड की जमीन पर रोक लगायी जाएगी। डीएम ने सभी अंचलाधिकारियों को आदेश दिया है कि रोक सूची में शामिल सभी खेसरा के साथ थाना व वार्ड नम्बर दर्ज कर संशोधित रोक सूची बनायें, जिससे लोगों को राहत मिल सके। उन्होंने अंचलाधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर संशोधित रिपोर्ट तैयार कर भेजने का आदेश दिया है। अंचलों में होने वाली इस सुधार के लिए अभियान चलेगा और इसकी मॉनिटरिंग दोनों डीसीएलआर करेंगे।
इसके साथ ही उन्होंने डीसीएलआर पूर्वी सह खास महाल पदाधिकारी को खास महाल की जमीन की विवरणी उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।
जिले में अभी जो रोक सूची प्रभावी है, उसमें सिर्फ खेसरा संख्या दर्ज है। उसमें न तो खाता संख्या है, न वार्ड संख्या व और थाना नम्बर। उदाहरणत: यदि खेसरा नम्बर आठ को रोक सूची में शामिल किया गया, तो जिले के सभी वार्ड के आठ नम्बर खेसरा पर रोक लग जा रही थी।
अब वार्ड नम्बर दर्ज होने के बाद उसी वार्ड का खेसरा नम्बर ब्लॉक होगा, जिसका विवरण रोक सूची में शामिल रहेगा।
लोगों की इस समस्या को आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद राज्य स्तर पर रोक सूची की समीक्षा हुई और अब नया आदेश आया है। उम्मीद है कि जिले में रोक सूची में शामिल 1.10 लाख खेसरा घटकर अब कुछ हजार रह जाएगी।
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मुजफ्फरपुर : स्मैकियों की 180 दिनों तक जमानत रोकने को पुलिस देगी अर्जी

एनडीपीएस की जांच में खामियों पर हाइकोर्ट में फजीहत के बाद एसएसपी जयंतकांत ने सभी थानों को एसओपी जारी कर इसके पालन का निर्देश दिया है। नई हिदायत के अनुसार अब जब्त चरस-स्मैक की एफएसएल जांच होने तक स्मैकियों की जमानत 180 दिन तक रोकने के लिए पुलिस कोर्ट में आवेदन देगी। एनडीपीएस एक्ट में नियम के अनुसार चरस-स्मैक के साथ धराए आरोपितों के खिलाफ 90 दिन में जांच पूरी कर कोर्ट में पुलिस को चार्जशीट दाखिल कर देनी है।
यदि पुलिस 90 दिन में चार्जशीट दाखिल नहीं करती है तो कोर्ट आरोपित को जमानत का लाभ दे देता है। इस बाध्यता के कारण कांड के आईओ जब्त प्रदर्श की एफएसएल से रिपोर्ट लिए बगैर हड़बड़ी में आरोपितों के खिलाफ 90 दिन पूरी होने से पहले कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर रही थी। अब ऐसा नहीं होगा। यदि पहले 90 दिनों के अंदर जब्त चरस-स्मैक की जांच रिपोर्ट एफएसएल से नहीं मिलती है तो आईओ अगले 90 दिन तक आरोपी को जमानत नहीं देने के लिए कोर्ट में अर्जी देंगे। फिर 180 दिन के अंदर एफएसएल रिपोर्ट लेने के बाद ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की जायेगी। विशेष लोक अभियोजक केस मेंकानूनी पक्ष रखेंगे।
मजिस्ट्रेट की गैरमौजूदगी में जब्ती के लिए आरोपी से लेनी होगी मंजूरी
एनडीपीएस एक्ट के मुताबिक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में ही चरस-स्मैक या मादक पदार्थ जब्त की जानी है। इसके लिए जब्ती स्थल पर मजिस्ट्रेट को बुलाना पुलिस के लिए अनिवार्य है। यदि जब्ती के समय से किसी कारणवश मजिस्ट्रेट नहीं उपलब्ध होते हैं तो आरोपित से एक मंजूरी पत्र लेना है, जिसमें आरोपी यह स्वीकार करेगा कि पुलिस अधिकारी के द्वारा ली जा रही तलाशी के लिए वह तैयार है और उसे कोई आपत्ति नहीं है। आरोपी की लिखित मंजूरी को पुलिस जब्ती सूची के साथ कोर्ट में पेश करेगी।
पुलिस को कोर्ट से लगी थी फटकार
अक्सर पुलिस खुद ही तलाशी लेकर एफआईआर में 50 पुड़िया या 100 पुड़िया चरस स्मैक जब्ती दिखा देती थी। यह एनडीपीएस नियम के अनुसार गलत है। इस नियम के उल्लंघन का मामला अहियापुर की एफआईआर में पकड़ी गई, जिसको लेकर हाइकोर्ट में मुजफ्फरपुर पुलिस के वरीय अधिकारियों को कड़ी फटकार लगी थी।
एनडीपीएस मामले में सभी बिंदुओं का पालन करने के लिए सभी थानेदारों को एसओपी जारी किया गया है। इसके तहत यदि पहले 90 दिन में एफएसएल रिपोर्ट नहीं मिलती है तो अगले 90 दिन और आरोपित को जमानत नहीं देने के लिए कोर्ट में अर्जी दी जायेगी। बगैर एफएसएल रिपोर्ट के कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने वाले आईओ पर कार्रवाई की जायेगी। – जयंतकांत, एसएसपी
Source : Hindustan
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