मुजफ्फरपुर की कहानी भाग 2 : 

हिन्दी सिनेमा जगत में कपूर खानदान एक बड़ा नाम है, इस खानदान के दर्जनों लोग आज भी बॉलीवुड में छाये हुये है. इस खानदान के ही चर्चित अभिनेता ऋषी कपूर और रणबीर कपूर है, लेकिन एक वक्त ऐसा था जब कपूर खानदान की नींव में एक मजबूत ईंट रखने वाले राज कपूर कर्ज में डूब चुके थें और तब उन्होंने रुख किया था मुजफ्फरपुर का, जी हाँ – सत्तर के दशक में राज कपूर अपना ड्रीम प्रोजेक्ट ” मेरा नाम जोकर ” लेकर आये, राज कपूर ने छह साल की मेहनत और अपनी जमा पूंजी के अलावा कर्ज लेकर इस फ़िल्म को पूरा किया।

लेकिन जब ” मेरा नाम जोकर” सिनेमा हॉल में आयी तो दर्शको ने उसे नाकार दिया और फ़िल्म सुपर फ्लॉप हो गयी, राज कपूर की सारी उम्मीद धरी की धरी रह गयी, राज कपूर निराश हो गए ये बात उन्होंने अपने गुरु और छायावाद के महान लेखक जानकी वल्लभ शास्त्री को बताई, शास्त्री जी का जीवन यहीं मुजफ्फरपुर में बिता है और उनका घर निराला निकेतन भी यहीं है, जिवन से निराश होकर राज कपूर शास्त्री जी के पास आये राज कपूर अपने जीवन में जानकी वल्लभ शास्त्री जी को बहुत मानते थे, मेरा नाम जोकर फ्लॉप होने के बाद वो कुछ समय के लिये मुजफ्फरपुर में निराला निकेतन में ठहरे, तब राज कपूर और शास्त्री जी के बीच जीवन की आपा- धापी में उतार चढ़ाव पर खूब मंथन हुआ, राज कपूर महान लेखक जानकी वल्लभ शास्त्री के बहुत बड़े प्रशंसक थे.

राज कपूर का मुजफ्फरपुर में आना-जाना शास्त्री जी के वजह से तो था ही, इसके साथ ही- राज कपूर को मुजफ्फरपुर के संगीत मंडी, चतुर्भुज स्थान से भी बेहद लगाव था, वैसे अब संगीत के प्रति लोगो का लगाव कम होते चला गया और आज उसे हम रेड लाइट एरिया कहते है, वो कभी संगीत का गढ़ हुआ करता था, कहते है संगीत के बढ़ावा के लिये दरभंगा महाराज ने चतुर्भुज स्थान बसाया था।

राज कपूर को भी मुजफ्फरपुर की संगीत मंडी से बहुत लगाव था उन्होंने अपनी कई फिल्म की पटकथाएं यहीं लिखी, राज कपूर के कई फिल्मों के संगीत भी यहीं बने, शास्त्री जी जैसे गुरु के सानिध्य में राज कपूर ने अपने जीवन को आगे बढ़ाया और पत्नी का गहना बेच कर ऋषी कपूर की ” बॉबी” लांच कर दिया, ऋषी कपूर और डिम्पल कपाड़िया की फ़िल्म “बॉबी” सुपरहिट हो गयी और राज कपूर के बुरे दिन बीत गये और फ़िर राज कपूर का जादू बॉलीवुड में चल गया।

वैसे बाद में ” मेरा नाम जोकर ” भी चल गयी और समय के साथ लोगो ने उस फिल्म को भी सराहा, लेकिन मुजफ्फरपुर ऐसा शहर रहा जिसे राज कपूर हमेशा याद करते रहे, उनके यहाँ आने का जुड़ाव के सूत्रधार आचार्य जानकी वल्लभ शास्री जी का भी जीवन बहुत रोचक है।

मुजफ्फरपुर में रहने वाले शास्त्री जी ने देश के सर्वश्रेष्ठ सम्मान में से एक पद्मश्री को ठुकरा दिया था, जिस सम्मान के लिये लोग तरसते है शास्त्री जी ने उस पद्मश्री पुरस्कार को ठुकरा दिया था, उनकी इस कहानी का भी इस सीरीज में जिक्र करेंगे तबतक छाती- ठोक कर कहिए , हम मुजफ्फएपुर से है.. जल्द मुजफ्फरपुर के शान वाली एक और कहानी लाऊंगा तबतक पढ़ते रहे मुजफ्फरपुर नाउ…

Abhishek Ranjan Garg

अभिषेक रंजन, मुजफ्फरपुर में जन्में एक पत्रकार है, इन्होंने अपना स्नातक पत्रकारिता...

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